Friday, January 29, 2010

नदी की तरह की मां....

नदी ही होती है हर मां,
तोड़ देती है एक दिन सारे पुल,
समा जाती है समुद्र की गहराई में
सम्पूर्ण गहराई के साथ....।
नदी और मां जानती है समर्पण के अर्थ
मां के अन्दर बहती है नदी,
नदी के साथ बहती है मां,
कितना मुश्किल है
दोनों को अलग कर पाना,
नदी की देह और मां की आत्मा,
दोनों पर ही जमता जा रहा कूड़ा.....।
नदी में डूबकर मरती है मां,
जब ठुकरा देती है उसकी सन्तान...।

Sunday, January 24, 2010

माँ माँ माँ

शायद... माँ शब्द को जाना ना होता अग़र वो मुझे इस दुनिया मे लाये ना होते...

शायद गुजर जाती है उनकी जिदगी यू ही जिनके सर पर माँ का साया नही होता...

माँ माँ माँ

शायद... माँ शब्द को जाना ना होता अग़र वो मुझे इस दुनिया मे लाये ना होते...

शायद गुजर जाती है उनकी जिदगी यू ही जिनके सर पर माँ का साया नही होता...

Saturday, January 23, 2010

Maa..Maa..Maa

Maa..Maa..Maa,

tumse badh kar kavita kahaan?????
kal tak they aap haqeekat....
aaj roohani ban gayee hoo,
aapki saari baatein aaj kahaani ban gayi hai...
aapko samarpit mairaa yee jivan haii...
hai aapko yee mairaaa namaannn.....