चांद से प्यारी चांदनी, चांदनी से प्यारी रात, रात से प्यारी जिंदगी और जिंदगी से प्यारी मां आप।
मां के बिना बच्चे पेड़ के टूटे हुए उस फूल के समान हैं, जिसे हर कोई रौंदना चाहता है।
मां ज्ञान का भंडार है, मां से बढ़कर कोई गुरु नहीं, मां एक किताब है, मां सफलता की पहली सीढ़ी है।
मां की हर बात को मानती हूं मैं आदेश, मां की हर बात में है मेरी भलाई का संदेश, उसे कितना प्यार करती हूं मैं नहीं जानती, अपने से जुदा मां को मैं नहीं मानती।
Wednesday, May 12, 2010
ममता भरा स्पर्श
मां, जो इस शब्द का अर्थ जान गया, वो शायद मां के अस्तित्व को अच्छी तरह पहचान गया। ममता शब्द को मां के बिना पहचान अधूरी है। एक मां जो शायद जिन्दगी में हर दुख, हर दर्द को बर्दाश्त कर सकती है, नहीं सह सकती, नहीं देख सकती तो बस अपने बच्चे का दर्द। एक मां जब कुछ ठान लेती है, तब उसे उसके लक्ष्य से कोई अलग नहीं कर सकता। एक औरत, एक बेटी, एक बहु, एक पत्नी शायद कभी अपनी राह, अपना लक्ष्य किन्ही उलझनों या रुकावटों के कारण बदल भी दे पर एक मां में वो हिम्मत, वो ताकत होती है, जो बड़ी से बड़ी रुकावटों को दरकिनार कर अपने बच्चों की एक मुस्कुराहट, आंखों की चमक, और उनके भविष्य के लिए अपनी मंजिल तक पहुच ही जाती है। एक पिता शायद अपने बच्चों को हर सुख-सुविधा हर खुशी दे सकता है पर एक मां की जगह और मां का प्यार कभी नहीं दे सकता। एक मां जो धीरज, धैर्य और ममता की छांव होती है, वक्त आने पर मां-बाप दोनों का प्यार देने में कामयाब होती है। आज मैं भी एक मां हूं। और मां के इस प्यारे पर्व पर अपनी मां को शत-शत नमन करती हूं, जिन्होंने मुझे औरत की पहचान मां का ममत्व और बच्चों की परवरिश का सही तरीका सिखाया। नहीं जाना, नहीं माना कभी तुझसे भी बढ़कर कुछ सोच सकते हैं हम। पर ये जाना हमने और माना भी कि मां से बढ़कर दुनिया में और क्या हो सकता है।
मूल्यवान और दुर्लभ उपहार
न है उसकी कोई कीमत न है कोई हिसाब
मां की ही वो गोद है जहां मानवता पले
अगर जन्नत है कहीं तो उसके आंचल तले॥
मां क्या है? कौन है?
भगवान ने कहा- मां मेरी और से एक मूल्यवान और दुर्लभ उपहार है।
समुद्र ने कहा- मां एक सीपी है, जो अपनी संतान के लाखों रहस्यों को अपने सीने में छिपा लेती है।
बादल ने कहा- मां एक चमत है, जिसमें हर रंग उजागर होता है।
संतान ने कहा- मां ममता की अनमोल दास्तान है, जो हर दिए पर अंकित है।
औरंगजेब ने कहा- मां के बिना घर कब्रिस्तान है।
नादिरशाह ने कहा- मुझे मां और फूल में कोई अंतर नहीं लगता, इसलिए मां के कदमों तले स्वर्ग निवास करता है। मां से बढ़कर कोई गुरु नहीं, मां एक किताब है, जिसमें ज्ञान का भंडार है। मां के मुंह से निकली हुई दुआ अवश्य कबूल होती है। मां का आशीर्वाद जीवन को सफलता है।
मेरी नजर में मां के बिना हम डाली के टूटे हुए फूल होते है, जिन्हें हर कोई रौंदते चलता है।
मां की ही वो गोद है जहां मानवता पले
अगर जन्नत है कहीं तो उसके आंचल तले॥
मां क्या है? कौन है?
भगवान ने कहा- मां मेरी और से एक मूल्यवान और दुर्लभ उपहार है।
समुद्र ने कहा- मां एक सीपी है, जो अपनी संतान के लाखों रहस्यों को अपने सीने में छिपा लेती है।
बादल ने कहा- मां एक चमत है, जिसमें हर रंग उजागर होता है।
संतान ने कहा- मां ममता की अनमोल दास्तान है, जो हर दिए पर अंकित है।
औरंगजेब ने कहा- मां के बिना घर कब्रिस्तान है।
नादिरशाह ने कहा- मुझे मां और फूल में कोई अंतर नहीं लगता, इसलिए मां के कदमों तले स्वर्ग निवास करता है। मां से बढ़कर कोई गुरु नहीं, मां एक किताब है, जिसमें ज्ञान का भंडार है। मां के मुंह से निकली हुई दुआ अवश्य कबूल होती है। मां का आशीर्वाद जीवन को सफलता है।
मेरी नजर में मां के बिना हम डाली के टूटे हुए फूल होते है, जिन्हें हर कोई रौंदते चलता है।
मूल्यवान और दुर्लभ उपहार
न है उसकी कोई कीमत न है कोई हिसाब
मां की ही वो गोद है जहां मानवता पले
अगर जन्नत है कहीं तो उसके आंचल तले॥
मां क्या है? कौन है?
भगवान ने कहा- मां मेरी और से एक मूल्यवान और दुर्लभ उपहार है।
समुद्र ने कहा- मां एक सीपी है, जो अपनी संतान के लाखों रहस्यों को अपने सीने में छिपा लेती है।
बादल ने कहा- मां एक चमत है, जिसमें हर रंग उजागर होता है।
संतान ने कहा- मां ममता की अनमोल दास्तान है, जो हर दिए पर अंकित है।
औरंगजेब ने कहा- मां के बिना घर कब्रिस्तान है।
नादिरशाह ने कहा- मुझे मां और फूल में कोई अंतर नहीं लगता, इसलिए मां के कदमों तले स्वर्ग निवास करता है। मां से बढ़कर कोई गुरु नहीं, मां एक किताब है, जिसमें ज्ञान का भंडार है। मां के मुंह से निकली हुई दुआ अवश्य कबूल होती है। मां का आशीर्वाद जीवन को सफलता है।
मेरी नजर में मां के बिना हम डाली के टूटे हुए फूल होते है, जिन्हें हर कोई रौंदते चलता है।
मां की ही वो गोद है जहां मानवता पले
अगर जन्नत है कहीं तो उसके आंचल तले॥
मां क्या है? कौन है?
भगवान ने कहा- मां मेरी और से एक मूल्यवान और दुर्लभ उपहार है।
समुद्र ने कहा- मां एक सीपी है, जो अपनी संतान के लाखों रहस्यों को अपने सीने में छिपा लेती है।
बादल ने कहा- मां एक चमत है, जिसमें हर रंग उजागर होता है।
संतान ने कहा- मां ममता की अनमोल दास्तान है, जो हर दिए पर अंकित है।
औरंगजेब ने कहा- मां के बिना घर कब्रिस्तान है।
नादिरशाह ने कहा- मुझे मां और फूल में कोई अंतर नहीं लगता, इसलिए मां के कदमों तले स्वर्ग निवास करता है। मां से बढ़कर कोई गुरु नहीं, मां एक किताब है, जिसमें ज्ञान का भंडार है। मां के मुंह से निकली हुई दुआ अवश्य कबूल होती है। मां का आशीर्वाद जीवन को सफलता है।
मेरी नजर में मां के बिना हम डाली के टूटे हुए फूल होते है, जिन्हें हर कोई रौंदते चलता है।
माँ माँ माँ
वृक्ष
मां एक वृक्ष है, जो अपनी संतान पर ममता की छांव हमेशा रखती है।
सीप
माँ एक सीप है, जो संतान के रहस्यों को सीने में छिपाए रहती है।
संतान
बच्चों के लिए मां प्यार और ममता का अनमोल उपहार है।
भगवन
धरती पर मेरा ही अवतार है...मां
मम्मा, मेरी मां, प्यारी मां...
कहते है पिता तो अंगुली पकड़कर चलना सिखाता है, मगर मां ही सिखाती है समाज के साथ कदमताल से चलना। फिर चाहे द्वापर युग के विष्णु अवतार श्री कृष्ण की पालनहारी मां यशोदा हो या वर्तमान समय की मदर टेरेसा। धार्मिक-पौराणिक ग्रंथों में भी जिक्र है कि मां के ममत्व और वात्सल्य प्रेम की खातिर भगवान ने भी समय-समय पर धरती पर अवतार लिए। भगवान को तो किसी ने देखा नहीं, मगर ये सभी को पता है कि राम-कृष्ण-गुरुनानक-पैगंबर-जीसस इन सभी को भी मां ने ही जन्म दिया है। फिर डरने की क्या है बात, मां है तो सही हमारे साथ।
Thursday, February 4, 2010
maa anmol hai....
माँ का कोई मोल नहीं होता...
इस रिश्ते का कोई टोल नहीं होता...
वैसे तो रिश्ते होते है हजारो...
पर माँ कि तरह कोई अनमोल नहीं होता....
इस रिश्ते का कोई टोल नहीं होता...
वैसे तो रिश्ते होते है हजारो...
पर माँ कि तरह कोई अनमोल नहीं होता....
Friday, January 29, 2010
नदी की तरह की मां....
नदी ही होती है हर मां,
तोड़ देती है एक दिन सारे पुल,
समा जाती है समुद्र की गहराई में
सम्पूर्ण गहराई के साथ....।
नदी और मां जानती है समर्पण के अर्थ
मां के अन्दर बहती है नदी,
नदी के साथ बहती है मां,
कितना मुश्किल है
दोनों को अलग कर पाना,
नदी की देह और मां की आत्मा,
दोनों पर ही जमता जा रहा कूड़ा.....।
नदी में डूबकर मरती है मां,
जब ठुकरा देती है उसकी सन्तान...।
तोड़ देती है एक दिन सारे पुल,
समा जाती है समुद्र की गहराई में
सम्पूर्ण गहराई के साथ....।
नदी और मां जानती है समर्पण के अर्थ
मां के अन्दर बहती है नदी,
नदी के साथ बहती है मां,
कितना मुश्किल है
दोनों को अलग कर पाना,
नदी की देह और मां की आत्मा,
दोनों पर ही जमता जा रहा कूड़ा.....।
नदी में डूबकर मरती है मां,
जब ठुकरा देती है उसकी सन्तान...।
Sunday, January 24, 2010
माँ माँ माँ
शायद... माँ शब्द को जाना ना होता अग़र वो मुझे इस दुनिया मे लाये ना होते...
शायद गुजर जाती है उनकी जिदगी यू ही जिनके सर पर माँ का साया नही होता...
माँ माँ माँ
शायद... माँ शब्द को जाना ना होता अग़र वो मुझे इस दुनिया मे लाये ना होते...
शायद गुजर जाती है उनकी जिदगी यू ही जिनके सर पर माँ का साया नही होता...
Saturday, January 23, 2010
Maa..Maa..Maa
Maa..Maa..Maa,
tumse badh kar kavita kahaan?????
kal tak they aap haqeekat....
aaj roohani ban gayee hoo,
aapki saari baatein aaj kahaani ban gayi hai...
aapko samarpit mairaa yee jivan haii...
hai aapko yee mairaaa namaannn.....
tumse badh kar kavita kahaan?????
kal tak they aap haqeekat....
aaj roohani ban gayee hoo,
aapki saari baatein aaj kahaani ban gayi hai...
aapko samarpit mairaa yee jivan haii...
hai aapko yee mairaaa namaannn.....
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