न है उसकी कोई कीमत न है कोई हिसाब
मां की ही वो गोद है जहां मानवता पले
अगर जन्नत है कहीं तो उसके आंचल तले॥
मां क्या है? कौन है?
भगवान ने कहा- मां मेरी और से एक मूल्यवान और दुर्लभ उपहार है।
समुद्र ने कहा- मां एक सीपी है, जो अपनी संतान के लाखों रहस्यों को अपने सीने में छिपा लेती है।
बादल ने कहा- मां एक चमत है, जिसमें हर रंग उजागर होता है।
संतान ने कहा- मां ममता की अनमोल दास्तान है, जो हर दिए पर अंकित है।
औरंगजेब ने कहा- मां के बिना घर कब्रिस्तान है।
नादिरशाह ने कहा- मुझे मां और फूल में कोई अंतर नहीं लगता, इसलिए मां के कदमों तले स्वर्ग निवास करता है। मां से बढ़कर कोई गुरु नहीं, मां एक किताब है, जिसमें ज्ञान का भंडार है। मां के मुंह से निकली हुई दुआ अवश्य कबूल होती है। मां का आशीर्वाद जीवन को सफलता है।
मेरी नजर में मां के बिना हम डाली के टूटे हुए फूल होते है, जिन्हें हर कोई रौंदते चलता है।
Wednesday, May 12, 2010
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