Wednesday, May 12, 2010

ममता भरा स्पर्श

मां, जो इस शब्द का अर्थ जान गया, वो शायद मां के अस्तित्व को अच्छी तरह पहचान गया। ममता शब्द को मां के बिना पहचान अधूरी है। एक मां जो शायद जिन्दगी में हर दुख, हर दर्द को बर्दाश्त कर सकती है, नहीं सह सकती, नहीं देख सकती तो बस अपने बच्चे का दर्द। एक मां जब कुछ ठान लेती है, तब उसे उसके लक्ष्य से कोई अलग नहीं कर सकता। एक औरत, एक बेटी, एक बहु, एक पत्नी शायद कभी अपनी राह, अपना लक्ष्य किन्ही उलझनों या रुकावटों के कारण बदल भी दे पर एक मां में वो हिम्मत, वो ताकत होती है, जो बड़ी से बड़ी रुकावटों को दरकिनार कर अपने बच्चों की एक मुस्कुराहट, आंखों की चमक, और उनके भविष्य के लिए अपनी मंजिल तक पहुच ही जाती है। एक पिता शायद अपने बच्चों को हर सुख-सुविधा हर खुशी दे सकता है पर एक मां की जगह और मां का प्यार कभी नहीं दे सकता। एक मां जो धीरज, धैर्य और ममता की छांव होती है, वक्त आने पर मां-बाप दोनों का प्यार देने में कामयाब होती है। आज मैं भी एक मां हूं। और मां के इस प्यारे पर्व पर अपनी मां को शत-शत नमन करती हूं, जिन्होंने मुझे औरत की पहचान मां का ममत्व और बच्चों की परवरिश का सही तरीका सिखाया। नहीं जाना, नहीं माना कभी तुझसे भी बढ़कर कुछ सोच सकते हैं हम। पर ये जाना हमने और माना भी कि मां से बढ़कर दुनिया में और क्या हो सकता है।

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