Friday, January 29, 2010

नदी की तरह की मां....

नदी ही होती है हर मां,
तोड़ देती है एक दिन सारे पुल,
समा जाती है समुद्र की गहराई में
सम्पूर्ण गहराई के साथ....।
नदी और मां जानती है समर्पण के अर्थ
मां के अन्दर बहती है नदी,
नदी के साथ बहती है मां,
कितना मुश्किल है
दोनों को अलग कर पाना,
नदी की देह और मां की आत्मा,
दोनों पर ही जमता जा रहा कूड़ा.....।
नदी में डूबकर मरती है मां,
जब ठुकरा देती है उसकी सन्तान...।

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